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पोप फ्रांसिस की प्रेरणादायक यात्रा: 5 शानदार कार्य 2025 तक दिलों में रहेंगे

पोप फ्रांसिस (Pope Francis) रोमन कैथोलिक चर्च के एक बहुत बड़े धर्मगुरु थे, जिन्होंने अपनी सादगी, दया और समाज में फैली नाइंसाफी को दूर करने की कोशिशों से पूरी दुनिया में लोगों का प्यार हासिल किया। उनका असली नाम जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो (Jorge Mario Bergoglio) था। वे 13 मार्च 2013 से लेकर 21 अप्रैल 2025 तक वेटिकन सिटी के राजा और रोमन कैथोलिक चर्च के 266वें पोप रहे। इस लेख में हम पोप फ्रांसिस के जीवन, उनके काम और उनकी विरासत के बारे में आसान भाषा में जानेंगे। पोप फ्रांसिस का शुरुआती जीवन पोप फ्रांसिस का जन्म 17 दिसंबर 1936 को अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स शहर में हुआ था। उनके पिता मारियो जोस बर्गोग्लियो एक इतालवी आप्रवासी थे, जो रेलवे में अकाउंटेंट का काम करते थे। उनकी मां रेजिना मारिया सिवोरी एक गृहिणी थीं, जो भी इतालवी मूल की थीं। पांच भाई-बहनों में सबसे बड़े जॉर्ज मारियो ने जवानी में कई छोटे-मोटे काम किए, जैसे रसायन तकनीशियन और एक बाउंसर की नौकरी। बाद में, उन्होंने पढ़ाई पूरी की और 1958 में जेसुइट सोसाइटी में शामिल हो गए। 1969 में वे कैथोलिक पादरी बने। पोप फ्रांसिस का धार्मिक जीवन जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो ने 1973 से 1979 तक अर्जेंटीना में जेसुइट समुदाय के प्रमुख के रूप में काम किया। 1998 में वे ब्यूनस आयर्स के आर्कबिशप बने, और 2001 में पोप जॉन पॉल द्वितीय ने उन्हें कार्डिनल बनाया। 2013 में पोप बेनेडिक्ट XVI ने इस्तीफा दे दिया, और उसी साल 13 मार्च को जॉर्ज मारियो को पोप चुना गया। उन्होंने अपना नाम फ्रांसिस रखा, जो संत फ्रांसिस ऑफ असीसी के नाम पर था। वे पहले जेसुइट पोप थे और अमेरिका महाद्वीप से चुने गए पहले पोप भी। साथ ही, वे 8वीं सदी के बाद पहले गैर-यूरोपीय पोप थे। पोप फ्रांसिस की सादगी और विचार पोप फ्रांसिस अपनी सादगी के लिए बहुत मशहूर थे। उन्होंने पोप के बड़े-बड़े महल में रहने की बजाय वेटिकन के एक छोटे से गेस्टहाउस में रहना पसंद किया। वे हमेशा गरीबों और कमजोर लोगों की मदद की बात करते थे। 2015 में, उन्होंने एक खास पत्र लाउडाटो सी लिखा, जिसमें उन्होंने जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण को बचाने की बात की। उन्होंने बड़े देशों से कहा कि वे धरती को बचाने के लिए सही कदम उठाएं। उन्होंने समाज के कई मुद्दों पर खुलकर बात की। उन्होंने LGBTQ समुदाय को चर्च में शामिल करने की बात कही, हालांकि उन्होंने समलैंगिक शादी को मंजूरी नहीं दी। उन्होंने आप्रवासियों की मदद की वकालत की और इसे इंसानियत का कर्तव्य बताया। 2022 में, उन्होंने कनाडा के मूल निवासियों से चर्च की गलतियों के लिए माफी मांगी, क्योंकि चर्च ने उनकी संस्कृति को नुकसान पहुंचाया था। पोप फ्रांसिस के 5 अद्भुत कार्य पोप फ्रांसिस ने अपने 12 वर्ष के कार्यकाल में चर्च को आधुनिक युग के साथ जोड़ने के लिए कई साहसिक कदम उठाए: पोप फ्रांसिस की अंतरराष्ट्रीय भूमिका पोप फ्रांसिस ने दुनियाभर में शांति के लिए काम किया। उन्होंने अमेरिका और क्यूबा के बीच दोस्ती कराने में मदद की। चीन के साथ कैथोलिक बिशपों की नियुक्ति को लेकर भी समझौता किया। उन्होंने यूक्रेन-रूस और इजरायल-हमास युद्ध में शांति की कोशिश की। गाजा में लोगों की तकलीफों को देखकर उन्होंने वहां मदद की अपील की। पोप फ्रांसिस का निधन पोप फ्रांसिस का निधन 21 अप्रैल 2025 को 88 साल की उम्र में वेटिकन में हुआ। उनकी मौत की वजह स्ट्रोक और हृदय की विफलता थी। इससे पहले वे फेफड़ों के इन्फेक्शन और निमोनिया से परेशान थे। उनकी मौत की खबर कार्डिनल केविन फैरेल ने दी। उनके निधन से पूरी दुनिया में शोक की लहर फैल गई। अर्जेंटीना ने 7 दिन का राष्ट्रीय शोक मनाया। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें “दया और इंसानियत का प्रतीक” कहा। पोप फ्रांसिस की विरासत पोप फ्रांसिस ने अपने 12 साल के कार्यकाल में चर्च को और ज्यादा प्यार करने वाला बनाया। उनकी सादगी, गरीबों के लिए प्यार और पर्यावरण को बचाने की कोशिशों ने उन्हें दुनिया भर में मशहूर बनाया। उनके विचारों ने कुछ रूढ़िवादी लोगों को नाराज भी किया, लेकिन ज्यादातर लोग उनकी तारीफ करते हैं। उनकी मौत के बाद वेटिकन में नए पोप का चुनाव होगा, जिसमें 135 कार्डिनल्स हिस्सा लेंगे। इसमें चार भारतीय कार्डिनल भी शामिल हैं, जिससे पहली बार एशियाई पोप चुने जाने की उम्मीद है। स्वास्थ्य संघर्ष और अंतिम दिन पिछले कुछ वर्षों में पोप फ्रांसिस फेफड़ों के संक्रमण, ब्रोंकाइटिस, और किडनी की समस्याओं से जूझ रहे थे। 14 फरवरी 2025 को उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया, और 21 अप्रैल को ब्रेन स्ट्रोक के कारण उनका निधन हो गया49। उनकी अंतिम सार्वजनिक उपस्थिति ईस्टर के दिन हुई, जहाँ उन्होंने अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से मुलाकात की और श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया वैश्विक शोक और श्रद्धांजलि भारत सहित दुनिया के अनेक देशों ने राष्ट्रीय शोक घोषित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें “करुणा और मानवता का प्रतीक” बताया। ईरान, अमेरिका, फ्रांस, ब्राजील जैसे देशों के नेताओं ने भी गहरा शोक व्यक्त किया। उनकी विरासत धर्म से परे जाकर, गरीबी उन्मूलन, मानवाधिकार, और प्रकृति संरक्षण जैसे मूल्यों में जीवित रहेगी। नए पोप का चुनाव और भविष्य पोप फ्रांसिस के निधन के बाद वेटिकन में पैपल कॉन्क्लेव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। 135 कार्डिनल्स नए पोप का चुनाव करेंगे। इसमें चार भारतीय कार्डिनल्स भी शामिल हैं, जिससे इतिहास में पहली बार किसी एशियाई पोप के चयन की संभावना भी जताई जा रही है।

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